मैंने कंटेंट के होने को लेकर इसीलिए अपनी बात रखी थी कि अंदर क्या है, यह इतना ज़्यादा मायने नहीं रखता, जब आपने (पत्रिका ने) मुद्दे की गंभीरता ही विवाद से पैदा कर दी हो! सीधा उदाहरण है, जब बलात्कार के केस की सुनवाई होती है वहाँ भी वकील ' उस ' सबका पुनः प्रसारण करना चाहते हैं, जो एक स्त्री को असहज कर देता है.